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बकाया भुगतान नहीं होने पर नाराज ममता , केंद्र सरकार के खिलाफ करेंगी प्रदर्शन।

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बकाया भुगतान नहीं होने पर नाराज ममता , केंद्र सरकार के खिलाफ करेंगी प्रदर्शन। कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर हमला बोला है। ममता ने 100 दिन के काम का बकाया भुगतान नहीं मिलने पर मोदी सरकार पर गंदे खेल का आरोप लगाया। ममता ने कहा कि केंद्र सरकार ने अब तक 100 दिन के काम का बकाया भुगतान नहीं किया है। उन्होंने टीएमसी कार्यकर्ताओं को प्रदेश में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने की अपील की है। ममता बनर्जी ने यह बात आसनसोल में कही। वे यहां पुरुलिया और बांकुरा के चार दिवसीय दौरे पर हैं। ममता ने कहा कि 100 दिन के काम का भुगतान हमारा अधिकार है और संवैधानिक कानून कहता है कि 100 दिनों के प्रोजेक्ट पर काम करने वाले मजदूरों को 15 दिनों के भीतर भुगतान मिलना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार जानबूझकर राजनीतिक गंदा खेल दिखा रही है। वे इन गरीब मजदूरों को पिछले 5 महीनों से पैसे नहीं दे रहे हैं। मजदूर वर्ग दैनिक आधार पर काम करते हैं, लेकिन उन्हें भुगतान नहीं मिल रहा है। ममता ने कहा कि मैं प्रत्येक टीएमसी कार्यकर्ता से करती हूं कि 5 और 6 जून को बकाया

काशी में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद कैसे बने ?

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सच पर एक नजर।  काशी में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद कैसे बने? वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिन तक चले सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि मस्जिद में शिवलिंग पाया गया है। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष इसे वज़ूख़ाने में लगा फ़व्वारा बता रहा है I वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिन तक चले सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि मस्जिद में शिवलिंग पाया गया है। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष इसे वज़ूख़ाने में लगा फ़व्वारा बता रहा है। इसके बाद स्थानीय अदालत ने उस जगह को सील करने का आदेश दिया। ज्ञानवापी मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी की अपील पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद, दोनों के निर्माण और पुनर्निमाण को लेकर कई तरह की धारणाएँ हैं, लेकिन स्पष्ट और पुख़्ता ऐतिहासिक जानकारी काफ़ी कम है, दावों और क़िस्सों की भरमार ज़रूर है। आम मान्यता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगज़ेब ने तुड़वा दिया था और वहां मस्जिद बना दी गई लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को देखने-समझने पर मामला इससे कहीं ज़्यादा जटिल दिखता है।